Sunita Shukla

Inspirational Others

3.7  

Sunita Shukla

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सुनहरी यादों के साये

सुनहरी यादों के साये

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बड़े याद आते हैं वो स्वर्णिम दिन, खुशनुमा सहज और चंचल,

बच्चों के साथ कक्षा में बिताए सुन्दर मधुर पल।

याद आती है उन मासूम मुस्कानों के पीछे छिपी शरारत, 

और थोड़ी सी डाँट पर रोने जैसा मुँह बना लेने की आदत।।


वो कलरव करते नन्हे-मुन्ने, कंधे पर बैग आँखों में सपने

दोस्तों के संग बढ़ते कदम, चेहरे पर हँसी, नहीं कोई ग़म,

टीचर की नज़रों से बचकर धीरे-धीरे करना बातें, 

दोस्तों का भी टिफ़िन खा जाना छुपते छिपाते।


अब भी मेरे कानों में गूँजती है यस टीचर की खनकती आवाज़,

खेलते हुए चिल्लाना और संगीत के बजते हुए साज़।

बड़े याद आते हैं वो ढेर सारे चाॅक और डस्टर,

जिनके एक एक टुकड़े भी बच्चे रखते थे सँभाल कर ।।


मन मेरा उन सुनहरी यादों के साये में गोते लगाता है ,

फिर उनके कपोलों की वो निश्छल मुस्कान ढूँढ़ता है ।

शायद ही कभी किसी ने की होगी ऐसी भयावह कल्पना, 

जब मानवीय संबंधों पर छा जाएगी ऐसी कालिमा ।।


सोचा न था कभी यूँ इन सभी को छोड़ पाएंगे,

और कक्षाओं में नहीं बल्कि ऑनलाइन पढ़ाएंगे।

वैसे तो पढ़ने पढ़ाने का ये तरीका है बिल्कुल नया,

पर है बहुत जरूरी क्योंकि पढ़ेगा तभी तो बढ़ेगा इंडिया।। 


ऑनलाइन होने पर भी एक अजीब सूनापन सा लगता है,

दिल का हर एक कोना बहुत खाली सा लगता है 

मन में उनसे मिलने का मधुर भाव जाग उठता है,

इसी उधेड़बुन में मेरा मन हर वक़्त लगा रहता है ।।


पर कुछ न होने से कुछ होना ही बेहतर है,  

यही सोच कर अपने मन को बार बार समझाती हूँ।

और लाइव क्लास में रोज उनसे रूबरू हो जाती हूँ ,

कुछ उनकी सुनती हूँ और कुछ अपनी सुनाती हूँ ।


मन मानता तो नहीं पर फिर भी मन को समझाती हूँ,

उनका भविष्य गढ़ने का अपना दायित्व निभाती हूँ, 

मोबाइल के छोटे से स्क्रीन पर बच्चों का भविष्य सँवारती हूँ,

हाँ, आजकल मैं उन्हें ऑनलाइन ही पढ़ाती हूँ।।

                      


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