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Rita Jha

Romance

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Rita Jha

Romance

सुनहरी यादें

सुनहरी यादें

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खोला जब अपनी यादों से भरी अलमारी,

खोलते ही सामने आ गिरी वो पुरानी डायरी,


उठाकर डायरी को पहले अपने गले लगाया,

यादों का पिटारा मानो खुलकर सामने आया।


पहला पन्ना देखते याद आई तुम्हारी शायरी,

 फिर हम बैठ गए हाथ में पकड़े वो डायरी!


पलटने लगी दिल थाम कर एक एक पन्ना,

अतीत में ले कर पहुंच गई प्यारी डायरी!


फिर मेरे वही पुराने अहसास जागने लगे,

 हम बीते दिनों की याद में गोते लगाने लगे।


मचल उठे फिर से मेरे वही पुराने जज़्बात

याद आ गई संग बीते, उस जमाने की बात!


>हर पन्ने संग यादों के गलियारे में भटकती रही

एक एक पल चलचित्र सा आँखों में घूमने लगा


यूं ही करते आखिरी पन्ना भी सामने आया,

उस पन्ने में कैद सूखे गुलाब को सामने पाया!


विनम्र प्रणय निवेदन के साथ दिया था

तुमने मुझे वो खूबसूरत सा लाल गुलाब!


मैं फिर कहाँ तुम्हें इनकार कर पायी थी,

तेरे संग सात फेरे लेने की वचन निभाई!


आज भी तो तुम देते ही हो मुझे लाल गुलाब

पर उस लाल गुलाब की बात ही थी लाजवाब !


आज भी वो बातें याद कर गुदगुदा जाती हूँ,

जो अब बन गई हैं जीवन की सुनहरी स्मृति।



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