सुकून के पल
सुकून के पल
दौड़ती भागती जिंदगी शोर और करतल
साइकिल पर घूमती टोली हर गली हर घर
चॉक डस्टर की मस्ती, था दोस्तों से पूरा जग
लड़ाई झगड़ा हरदम, शिक्षक का बड़ा डर
प्रार्थना सभा से शुरू होती थी जो हर सुबह
हर टिफ़िन पर हक़ अपना सारे सिस्टर ब्रदर
करते टीचर का सम्मान रखते उनकी हर एक बात ध्यान
जीने का अंदाज़ निराला, थे वही हमारे सुकून के पल
