पेड़ों के मन की बात
पेड़ों के मन की बात
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फलों से लदे हरियाली के राजा हम हैं प्यारे पेड़ जिनकी लगी होती सभा ,
हमारे फल रसीले कभी नीले ,कभी पीले तो कभी रंग रंगीले ,
हमसे खाना बनता ,चक्की में जा पिसता ,
हमारे लकड़ी से बना घर,उसमें शानदार फर्नीचर ,
हम मिट्टी में जा लगते,किसानों की मेहनत का फल बनते,
मत काँटो कोई पेड़ फूलों पत्तो से लदा ,
हम आपको देंगे शुद्ध हवा सदा,
हमारे कई पत्ते निचे जा गिर झड़ते ,
उससे बने खाद से कई पेड़ है जीते,
जैसे बच्चों को प्यारी उनकी गुड़िया ,
वैसे हम बने आपके लिए जीने की पुड़िया ,
मत काँटो कोई पेड़ नारा ऐसा आप लगाओ ,
और धूल,प्रदुषण से मुक्त हो जाओ ,
इच्छा हमारी है इतनी ही , दे दो आप हमारा साथ,
यही तो है हम सारे पेड़ों के मन की बात !
