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Aafreen Deeba

Children Stories Others

4.0  

Aafreen Deeba

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परिंदे की ज़ात हूँ

परिंदे की ज़ात हूँ

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रोऊंगी तड़पूंगी फ़ड़फड़ाऊंगी 

फिर एक दिन खामोश हो जाऊंगी....


फिर कोई माँ का रूप लेकर

आएगी मेरी जिंदगी में थोड़ी सी मोहब्बत लेकर

फिर मेरी तन्हाई बांटने की कोशिश करेगी

या फिर मेरे साथ अपना मन बहलाएगी।।


फिर उसको याद आता है,

कौन सा मैंने इसको जन्म दिया है

फिर वह भी मुझे छोड़ कर चली जाएगी।।


फिर मैं उसे मोहब्बत का वास्ता देकर

रोकने की कोशिश करूंगी ..

लेकिन वह नहीं रुकेगी चली जाएगी।।


मुझे छोड़कर अकेला तन्हा।।


मेरे सारे पंख एक एक करके गिर जाएंगे

फिर मैं रोऊंगी फिर उसके लिए

तड़पूंगी फिर शोर मचाऊंगी


फिर चीख़ूंगी चिल्लाऊंगी

कुछ दिन तक फ़ड़फड़ाऊंगी

और फिर एक दिन खामोश हो जाऊंगी


फिर कोई माँ का रूप लेकर आएगी

अपना समय गुजारने के लिए

मेरी जन्नत

 बनकर 

फिर कुछ दिन के लिए बहार आ जाएगी ज़िंदगी में


फिर मैं खुश रहूंगी ..

फिर उस माँ को भी पता चल जाएगा

के मुझे उसकी आदत हो चुकी है

और फिर एक बार वह भी मुझे छोड़ कर चली जाएगी

फिर एक बार मैं फड़फड़ाऊंगी

और खामोश हो जाऊंगी ....


फिर कभी कोई बहेलिया आएगी

जाल बिछाएगी दाने डालेगी

फिर मैं फंस जाऊंगी .....


फिर कभी कोई पेड़ कटेगा मैं बेघर हो जाऊंगी ......


कभी जंगल में आग लग जाएगी

फिर मेरे सारे पंख एक एक कर के जल जाएंगे 

और मैं......बेसुध सी...


यह चक्र ऐसे ही चलता रहेगा...

रोना फड़फड़ाना शोर मचाना फिर खामोश हो जाना


 जब तक मेरी सांसे ना खामोश हो जाए

 तब तक 

हाँ तब तक


आखिर परिंदे की जात हूँ

यह सब तो लाज़मी है ...।



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