Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Aafreen Deeba

Abstract

2.0  

Aafreen Deeba

Abstract

बचपन

बचपन

1 min
241


खट्टी मीठी नमकीन सी बचपन की कुछ यादें हैं

 महफ़िल तो सजाओ यारों बचपन की कुछ बातें हैं 


तब खिलौनों के टूटने से घर सर पर उठ जाता था

 आज दिल के टूटने पर तड़प भरी कुछ रातें हैं


 तब घंटों बतियाते थे फोन पर जब एस टी डी बिल आता था 

तब एक दूजे के घर जाकर दोस्ताना निभाया जाता था


तीन महीने का डाटा पैक अब यूं ही खत्म हो जाता है 

कहने को तो दोस्त हजारों पर दिल किससे मिल पाता है


 लहू से कुछ रिश्ते हैं जो आज पराए से बन बैठे हैं

 और दूर देश के अनजाने वो हमसाए से बन बैठे हैं


 एक ही थाली के चट्टे बट्टों से मिलने से भी अब घबराते हैं

 सोशल मीडिया फैन फॉलोइंग से मिलने को तड़प जाते हैं 


 बचपन छूटा तारे गिनते और जवानी सर पर आ गई 

 घर गृहस्ती मोह माया दौलत इन सब में उलझा गई 


 हुआ सामना हक़ीक़त से तो देखा जवानी भी छूट गई ।

 रेत मोती मुट्ठी मे थे मोती छूट गई रेती हमसे रूठ गई


तूने जिस राह में चलाया जिंदगी उसी राह पर हम चल दिए 

तू भविष्य पर जीती रही हमने तुझको कई कल दिए


 एक पल को तो आजा ए ज़िंदगी की सांस जा रही है

 सुनहरी धूप भी स्याह तारीक़ सी के मौत पास आ रही है ।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract