बेटियाँ
बेटियाँ
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
बोझ मत बेटी को समझो ये तो घर की शान है
बेटियों के गर्भ से पैदा हुआ इंसान है
इनसे ही घर की रौनक इनसे ही मुस्कान है
जिनके घर बेटी नहीं वोह घर बहुत सुनसान है
बाप और माँ का हमेशा रखती है बेटी ख्याल
अपने छोटे भाई-बहनों पर लुटाती जान है
बेटियों को बोझ क्यो आखिर समझते हैं ये लोग
बेटियों की ही बदौलत आज ये इंसान है
है अलग ही शान इनकी जिनके घर है बेटियाँ
बेटियाँ घर में नहीं तो घर बना श्मशान है
बेटियाँ ही माँ, बहन, बीवी हैं, ए-अहले नज़र
कद्र इनकी जो नहीं करता वही नादान है
बेटियों की इज्जत व अज़मत का तुम रखो ख्याल
मैं नहीं कहती यही अल्लाह का फरमान है...