सुख दुख
सुख दुख
दुख है हृदय मन की निराशा,
सुख बना जीवन की अभिलाषा।
दुख सदा रहा है बदरंग,
सुख लिए हैं इंद्रधनुषी रंग।
दुख अकारण आई विपत्ति,
सुख लगे प्रियतम संपत्ति।
दुख प्रतीति बोझल मन,
सुख प्रियतम संग मधुर मिलन।
दुख बने आत्मा का अभाव,
सुख लाए सदा सद्भाव।
दुख चाहे मात्र सहानुभूति,
सुख कराए अभिमान की अनुभूति।
दुख है मात्र करुण क्रंदन,
सुख बना है जीवन परमानंद।
दुख बना मन की दुर्बलता,
सुख है आत्मा की सबलता।
दुख शरीर की असाध्य व्याधि,
सुख है सदा सर्वप्रिय औषधि।
दुख प्रतीति तप्त लोहे पिंड,
सुख में सदा स्वाभिमान अखंड।
सुख दुख तो है आंगन की सांझ उषा,
सदा रही दोनों जीवन की दिवा निशा।
दुख भी नश्वर सुख भी नश्वर,
रचयिता बने परमपिता परमेश्वर।
