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Chhabiram YADAV

Romance

5.0  

Chhabiram YADAV

Romance

सुहानी यादें

सुहानी यादें

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आज अतीत में जाकर ही

उठा लाया हूँ सुहानी यादें

भूली बिसरी सी लगती क्यूँ

तुम संग सावन की बरसातें।


याद करो तुम जब आयी थी

मेरे आँगन को महकाई थी

साँझ ढले तुम करती कलरव

इधर उधर क्यूँ मंडरायी थी।


जीवन के पथ पर तब हमने

प्यारा सा साथ निभाया था

तुम्हारे हाथों के ओ लड्डू

मन को कितना भाया था।


अंधकार की बेला में भी

तब तनिक नहीं घबराते थे

साथ तुम्हारा पाकर कितना

जीवन सरल बनाते थे।


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