STORYMIRROR

Renuka Chugh Middha

Drama

5.0  

Renuka Chugh Middha

Drama

सुबह नई नई सी

सुबह नई नई सी

1 min
431


सोना बिखरा है धरा पर, चाँदी दूर गगन में, 

चैन और अमन बिखरा है इस धरती-आँगन में। 


फूलो की महक बिखरी है, मस्त फ़िज़ाओं में , 

सोने सी चमक बालियाँ में, लहराती है हवाओ में। 


हरियाली की चादर ओढ़े धरती है मुस्कायें , 

सूरज की चढ़ती किरणें, अपना आँचल है फहराये। 


ले कर हवाओ की कश्ती, फूलों से ले पतवार,

खुशबू की मानिंद, तितली के जैसे दूर गगन में उड़ जाऊँगी। 


सपनों को अपने पाने को,सूरज से भी तपन ले आऊँगी, 

ले शीतलता पवन से,होले -होले मदमस्त लहराऊँगी। 


समेटने को सुनहरा भविष्य,अपनी बाँहें है फैलाई, 

सतरगीं सपने आँखों में सजाए, पापा की नन्ही परी है आई। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama