सुबह का नाश्ता
सुबह का नाश्ता
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पराठा खाओ,
चाय पियो,
सूरज उग आओ है,
सवेरा हो गया।
मम्मी उठ गई,
नहाए धोई,
रसोई घर में घुस गए,
परात उठाई आटा गूंथने लग गई।
पापा की आवाज आई,
घड़ी की सुई घूम रही,
8:00 बज गए,
'नाश्ता तैयार हुआ कि नहीं'
बढ़ बढ़ाते हुए,
मम्मी बोली,
नाश्ता! नाश्ता! नाश्ता!
नाश्ता! नाश्ता! नाश्ता!
तवे पर रोटी,
रखी ही थी,
मम्मी का गुस्सा,
नाक पर चढ़ा।
पूरा घर सिर,
पर खड़ा,
पापा बिचारे,
क्या कहते।
आर्डर दिया ही,
ऐसे था,
अब सब कुछ,
चुप चाप सहते।
मजा आ गया,
महायुद्ध शुरू हो गया,
लाल टमाटर,
मुंह मम्मी का हुआ।
लॉकडाउन में
मुझे क्या समझा है
बीवी हूं आपकी
कुक नहीं
दोपहर हुई,
रात हुई,
सुबह हुई,
खाना दे दो,
खाना दे दो,
खाना दे दो,
ऑर्डर पर ऑर्डर ,
देते हो आप,
ना जाने कौन से ,
हस्बैंड हो आप।
लेकिन अब नहीं,
बहुत हुआ,
अब सब कुछ उल्टा हुआ,
जो किसी ने ना सोचा हुआ।
नाश्ता चाहिए आपको,
चलिए आपको नाश्ता,
खाना आता है,
कभी कुछ बनाया है।
तू हाथ ट्राई करते हैं,
1 महीने तक,
( सांसे थम गई)
मैं हस्बैंड ,
आप वाइफ।
ऑर्डर मेरा,
काम आपका।
चलेगी मेरी,
सुनेंगे आप।
जरा पता तो चले,
वाइफ क्या होती है,
"घर में वह सोती है,"
यह बोलना तो आसान है।
अब आपकी बारी,
पराठा लाइए,
साथ चाय भी,
चाय में शक्कर कम रखो,
बर्तन भी गंदे हैं,
उनको भी धोना है,
समझ आया,
कि नहीं,
पापा का हाथ,
चल रहा था,
बातें सुन रहे थे,
सोच में पड़े थे।
बीवी से जबान,
लड़ाने का नतीजा,
माथे पर हाथ रख,
हे भगवान मुंह से निकला।
पूछा क्या हुआ,
जवाब मिला नहीं देखा,
रोटी का क्या हाल हुआ है,
काली-काली जल गई।
करो करो,
रेल बनी,
ऐसे कैसे
दुनिया चले।
एक और आर्डर,
आया कपड़े पड़े हैं,
आज चादर भी,
निकाल दूंगी।
पापा-एक काम तो हो,
जाने दो,
भाई इंसान हूं,
नहीं तो मैं,
क्या जानवर थी,
जानवर से भी,
ऐसा बर्ताव नहीं करते।
मम्मी-आज तो पहला ही दिन है,
30 दिन बचे हैं,
करो करो,
शाबाश! लगे रहो,
पापा बिचारे,
क्या करते,
अब कोई बचा नहीं था रास्ता,
पापा का अच्छे से हुआ नाश्ता।