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Chandragat bharti

Classics Crime

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Chandragat bharti

Classics Crime

सत्य से यारी है

सत्य से यारी है

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तुम करो झूठ से प्यार सखे

पर मुझे सत्य से यारी है 

नापाक अमीरी से ज्यादा 

इज्जत की गरीबी प्यारी है।


जीवन की खातिर दौलत भी

होना भले जरूरी है

किन्तु झूठ के सँग कमाओ

यह कैसी मजबूरी है

यदि महल बना हो शोषण से

वह शोहरत कैसे न्यारी है।


मेहनत से सब मिल सकता है

ऋषियों मुनियों का मत है

बाहर भारत की छवि बिगड़े

हम लोगों पर लानत है

सच पूछो तो भ्रष्ट आचरण 

मानवता से गद्दारी है।


नैतिकता के पथ पर आओ

मिलकर दीप जलायें हम

मिलकर दुष्ट अँधेरे को अब

आओ आज भगायें हम

सच्चाई का बल दुनिया पर

अब भी सबसे भारी है।


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