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नम्रता सिंह नमी

Inspirational

4.9  

नम्रता सिंह नमी

Inspirational

स्त्री

स्त्री

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स्वयं में सहेजे अनगिनत ख़्वाबों को

हर रिश्ते में अनेकों रंग भर कर


स्वयं के लिए जीने की जिजीविषा

खुद से लड़-झगड़ कर खुद के लिए खड़े होना


शक्ति का संबल हो, पहचानो और बढ़ो

हर मुसीबत तुम्हारे धैर्य से छोटी है


जब तक तुम जीती हो, यह जग जीता है

क्या फर्क पड़ता है कि कौन तुम्हारे साथ है


कौन तुम्हरी बाँहें थामे है

वो कौन है जो पल भर भी साथ न चला


कौन है जिसने मुँह है मोड़ा

जब तक तुम हो अपने साथ


जीवन के हर अंतर्द्वंद्व पर तुम्हारी जीत है

तुम हो ईश्वर की सर्वोच्च कृति


तुम्हारी हार में ईश्वर की हार है

और जीत में है उस ईश्वर की जीत।।


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