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Mohan Arora

Tragedy Others

4.5  

Mohan Arora

Tragedy Others

स्त्री चिंतन

स्त्री चिंतन

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स्त्री का अस्तित्व है महान

माँ बनना भी है सम्मान 

सब जगत पर है अहसान

कब हटेंगे यह इश्तहार बड़े अस्पतालों से 

यहाँ लिंग परीक्षण नहीं किया जाता सालो से 

पुत्र जन्म पर दी जाने वाली बधाइयाँ

बेटी जन्म पर मिलने वाली रुसवाइयाँ

कोई बात नहीं आजकल बेटा बेटी एक जैसे है 

यह कहना आसान परंतु मन से सब वैसे है 

फिर ना नोच कर फेंक दी जाए गटर में कोई बच्ची 

जो नवरात्रों में पुजी गई थी देवी सच्ची 

दोहरी हुई पीठ पर बच्चा बाँध कर 

ईंटों और सीमेंट को कंधे पर लाद कर 

चढ़ती हुई गरीब औरत ना तौली जाए 

ठेकेदार की नजरों में ना बोली जाए 

फिर से ना किसी अबला पर गोली चलाई जाए 

ना तेजाब से राह चलती

खूबसूरत शक्ल जलाई जाए 

नहीं कर सकते किसी स्त्री का सत्कार

बड़ा ही घिनौना और आपराधिक है बलात्कार 

घर से बाहर निकलने पर घुरती गंदी निगाहें 

बेचारी शर्म से सिमटती भरती ठंडी आहें

कब बंद होंगे कोठे और चकले 

क्यों बिकेंगी गोश्त की तरह सुंदर शक्लें

कब हटेंगी समाज से यह सब बुराइयाँ

कब दे पायेंगे हम अपनी बहन बेटियों को अच्छाइयाँ

कब बंद होगा खरीद फरोख्त का व्यापार 

क्यों दिया जाए गाड़ी और सोने का हार 

क्यों दी जाए रुपये और रसूख की फाँस 

क्यों ढोये बाप बेचारा ज़िंदा जलाई लड़की की लाश 

हम सब समझे अपना धर्म और मान

करें हम सब हर बहन बेटी का सम्मान।। 



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