Mohan Arora
Romance
यह इश्क ऐ दिल है
उम्र का मोहताज नहीं है
इस इश्क की तासीर
का पर्याय जुदा है
क्या ताज महल
इस इश्क के सरताज नहीं है,।।
चांद पर भारत
बाग
बाबा पीर की म...
गीत
दादी पोती
खुबसूरत हसीना
इश्क
💝 मुहब्बत 💝
बेबसी
🌹 दिल की किता...
इतनी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भी प्रेम मरा नहीं था ! इतनी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भी प्रेम मरा नहीं था !
ये मेरी हमसफर काश ! वो आहट तुम सुन लेते। ये मेरी हमसफर काश ! वो आहट तुम सुन लेते।
तेरे इश्क़ में मलंग मुझे रहना... तेरे इश्क़ का क्या कहना..... तेरे इश्क़ में मलंग मुझे रहना... तेरे इश्क़ का क्या कहना.....
एक वही था, जो सब कुछ था, ज़िंदगी था, बस मेरा नहीं था। एक वही था, जो सब कुछ था, ज़िंदगी था, बस मेरा नहीं था।
मिलन हो या जुदाई फिर भी दिल मे समर्पण रखते हैं ! मिलन हो या जुदाई फिर भी दिल मे समर्पण रखते हैं !
सर रख कर बातें करना चाहूँ तुझको ना मैं खोना चाहूँ सर रख कर बातें करना चाहूँ तुझको ना मैं खोना चाहूँ
तुम्हारे नाम की गोली सुबह और शाम लेती हूँ। तुम्हारे नाम की गोली सुबह और शाम लेती हूँ।
नज़र मिले तो मिले है क़रार क्यूँ ‘दीपक’ ज़रा बता तो सही क्या ये माजरा क्या है। नज़र मिले तो मिले है क़रार क्यूँ ‘दीपक’ ज़रा बता तो सही क्या ये माजरा क्या है...
अपनी देह की वेदी पे हृदय कलश स्थापित कर, अपनी देह की वेदी पे हृदय कलश स्थापित कर,
गुज़र जाएंगे ये लम्हें .. कम होंगे फासले देखते ही देखते माहौल बदल जाता है। गुज़र जाएंगे ये लम्हें .. कम होंगे फासले देखते ही देखते माहौल बदल जाता है।
ये ही तो है अफ़साने मुहब्बत की और दास्ताँ चिट्ठियों की। ये ही तो है अफ़साने मुहब्बत की और दास्ताँ चिट्ठियों की।
चाहता हूं मैं तुम्हे इतना कोई चाह नहीं पाएगा! चाहता हूं मैं तुम्हे इतना कोई चाह नहीं पाएगा!
महल तेरी मुहब्बत का, मेरे हृदय में सजीव हो चुका, ये इक तरफा प्यार कि मंजिल जाने क्या महल तेरी मुहब्बत का, मेरे हृदय में सजीव हो चुका, ये इक तरफा प्यार कि मंजिल जा...
अपने लोगों के मिलन से खुशियां सारी मिल गयीं ! अपने लोगों के मिलन से खुशियां सारी मिल गयीं !
छुप छुप कर ही पढ़ते हो क्यों गीत मेरे गा करके तुम दे दो अपना संगीत इन्हें! छुप छुप कर ही पढ़ते हो क्यों गीत मेरे गा करके तुम दे दो अपना संगीत इन्हें!
कुछ साँसे अभी मेरे भीतर बाकी है सौंप दूँ अपना सबकुछ तुम्हें फिर चले जाना। कुछ साँसे अभी मेरे भीतर बाकी है सौंप दूँ अपना सबकुछ तुम्हें फिर चले जाना...
वरना हम तो खामखाँ समझ बैठे थे कि दिवाना हमारी परवाह करता। वरना हम तो खामखाँ समझ बैठे थे कि दिवाना हमारी परवाह करता।
अब तुम अपने ख्वाबों के बीज अपनी आंखों में बो सकती हो... अब तुम अपने ख्वाबों के बीज अपनी आंखों में बो सकती हो...
कुछ गुनगुनाती ख़ामोशी है कुछ बिख़री तन्हाई। कुछ गुनगुनाती ख़ामोशी है कुछ बिख़री तन्हाई।
आँखें रह-रहकर बरसने लगती हैं तुम्हारी याद में, आँखें रह-रहकर बरसने लगती हैं तुम्हारी याद में,