बाबा पीर की मजार
बाबा पीर की मजार
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फलों के बाग मे थी एक बाबा पीर की मजार
चढ़ते उस पर खिल, बताशे, चद्दर और फूलों के हार
हर वीरवार को दर्शन करने लोग इकटठ होते हजार
चावल बंटते खीर बंटती कितनी सुंदर थी बाबा पीर की मजार
श्रद्धालु लोगो का तांता लगता, सजता पुरा बाजार
धूप मिलती अगरबत्ती मिलती मिलती हरी चददर की लखार
पुरी रौनक बनती, बनता था लोगो का आपस में प्यार
श्रद्धा थी भक्ति थी था चमत्कार का व्यवहार और संचार
कितनी अलौकिक और सुंदर थी बाबा पीर की मजार।।