खुबसूरत हसीना
खुबसूरत हसीना
ख्वाब हो परी हो या कोई हसीन फ़साना
कितनी खूबसूरत हो कहता है सारा जमाना
संगमरमर की मुरत सी नील गगन की हो रानी
हो किसी की मुहब्बत या प्यार भरी जिंदगानी
हकीकत हो या बयां करती कोई कहानी
सुंदर रुप है तेरा मदमस्त करती जवानी
मासूम सा चेहरा, है दिलकश अदाऐ
ये नुर, ये दहकता हुस्न ,हमे बहुत सताऐ
भोली भाली मुसकराती ये बल खाती कमर
हम आप पर मर मिटे हो जाऐ सदैव अमर
अब कहे सचचाई मोहन, सुनें सारा जमाना
ये हैं खुशबू ना कोई ख्वाब ना कोई फ़साना।