STORYMIRROR

Rita Jha

Children

3  

Rita Jha

Children

सर्दी बहुत सताती है

सर्दी बहुत सताती है

1 min
178

मम्मी! यह सर्दी मुझे बहुत सताती है।

तुम्हारी याद इस हास्टल में रुलाती है।

मेरे दाँत कैसे गज़ब किट किटाते हैं।

ब्रश करते मुंह से धुआँ निकल जाते हैं।

ठंडा ठंडा नाश्ता मन को ज़रा न भाते हैं।

तुम्हारे बनाए पकवान बहुत याद आते हैं।


मम्मी! यह सर्दी मुझे बहुत सताती है।

तेरे स्नेह की ऊष्मा याद बहुत आती है।

तिल के लड्डू का स्वाद न भूल पाता हूँ।

तेरा दिया च्यवनप्राश नित ही खाता हूँ।

सुबह रजाई से जल्द निकल नहीं पाता हूँ,

कक्षा में देर होने के कारण डांट खाता हूँ।


मम्मी! यह सर्दी मुझे बहुत सताती है।

सर्द हवाएँ तन मन को बहुत ठिठुराती है।

चार-पांच कपड़ों में तगड़ा हो जाता हूँ।

हाड कंपकंपाते है शौच को जब जाता हूँ।

नल के पानी को देख कर मैं डर जाता हूँ।

हफ्ते दस दिन बीतने पर ही मैं नहाता हूँ।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Children