फिर तुम आई स्पर्श कर मन को, अपने प्रेम की ऊष्मा उसमें व्याप्त कर दी फिर तुम आई स्पर्श कर मन को, अपने प्रेम की ऊष्मा उसमें व्याप्त कर दी
जिससे आपस में रहे मान सम्मान फिर न कोई भय होगा जिससे आपस में रहे मान सम्मान फिर न कोई भय होगा
मम्मी! यह सर्दी मुझे बहुत सताती है। तेरे स्नेह की ऊष्मा याद बहुत आती है। मम्मी! यह सर्दी मुझे बहुत सताती है। तेरे स्नेह की ऊष्मा याद बहुत आती है।