STORYMIRROR

Dr. Vijay Laxmi"अनाम अपराजिता "

Comedy

3  

Dr. Vijay Laxmi"अनाम अपराजिता "

Comedy

सपनों की रानी

सपनों की रानी

1 min
140

मेरे सपनों की रानी कहते-कहते 

बना दिया एक महल की बहूरानी


फिर राहचलते सब्जबाग दिखाके  

धीरे-धीरे मीठी बातों में उलझा के


चांद तारों को तोड़ देने की सौगात

कहते-कहते धर्मपत्नी बना दिया


चकरघिन्नी सी घर में नाचते-नाचते

सुबह से हो गयी शाम न अपना नाम


रानी-बबलू चिंकू की मम्मी बना दिया

ख्वाबों में लंदन पेरिस गोवा घुमा दिया


धीरे-धीरे बहला-बहला गीत गा अपने

सपनों की रानी को नौकरानी बना दिया 


बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम का लगा लेबल

धता बता दिन में स्वर्णतारे दिखा दिया


काश किसी के सपनों की रानी न होते

अपने ख्वाबों को साकार कर रहे होते।

      



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Comedy