सपनों का राजकुमार
सपनों का राजकुमार
जहाँ तक जाती है
स्मृति की प्रकाश किरणें
अल्हड़ बचपन के अबोध आँगन हों
या कैशोर्य के अबूझ गवाक्ष
यौवन की तूफानी हवा में
उड़ते से पर्दों वाले कक्ष
एक सीख सुनते चली आई
पति का घर
कल्पना की क्रोशिया में फाँस
इन्द्रधनुषी कामनाओं की डोर
बुनते चली आई
विविध सपने
सज्जनता के
ईमानदारी के
परिश्रम के
सामर्थ्य के
प्यार के
सफेद घोड़े पर सवार
सपनों का राजकुमार
उसके सपनों के लिए जान लुटाता
जिसके सीने पर सिर रखकर
वो समझती खुद को
मिश्र की राजकुमारी
और
प्रतीक्षा के बसंत पर बसंत बीते
एक दिन
घर में हुई हलचल
देखनेवाले आ रहे हैं
बैठक में सजी थी सभा
नाश्ते की थाली सजाये
पहुँची कमरे में
हठात कुछ ध्वनि सुन पड़ी
कहरहा था राजकुमार
कितने की करेंगे शादी
बीस लाख की
दूसरी पार्टी तैयार है
आप अपनी कहें
हमारी प्रतिष्ठा के
अनुरूप होगा सब
दरवाजा तिलक लगुन में
नगद शगुन जरूरी है
बाप घिन्घियाये
आप मेरी बेटी देखिये
पढ़ी है सन्सका
अरे वह छोड़िये
आज अनपढ़ कौन
बात कट गयी
आप साफ़ करें
कितने की करेंगे शादी
उत्तर आप जो कहें
उसकी जेब में रखा
बटुआ चमक रहा था
मुझे लगा पर सच लगा
खाली होगा
कैसे भी बन गयी बात
सब खुश थे घर में
वीरान काल्पनिक खुशी
बटुए का मुंह खुला था
और पिता की अलमारी से
उड़ उड़ कर
नोट समाते चले जा रहे थे
उस बटुए में।
