सपने
सपने
कोशिश नादान सी है मेरी
पर ख्वाहिश उड़ने की है गहरी
हौसले खुद को खुद से भर रहे हैं
चाहतों के तूफान से उठ रहे हैं
रात को आंखों में भर लूं
दिल में इरादे कुछ ऐसे पल रहे हैं
खोल रही हूं दिल की तिजोरी
फिजाओं के रंग में शामिल हो रही हूं फैली है जो आसपास मायूसी
कम करने का हुनर
जरा जरा सीख रही हूं
बीते हुए हर लम्हों से
खुशियां ढूंढ लाई हूं
उन खुशियों को अब
बांटने निकल पड़ी हूं।