तेरी याद
तेरी याद
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हवा का एक बेशर्म झोंका
हौले से छू सकपका कर भाग गया
तुम्हारी यादों के भंवर में
सुलगती रही पूरी शाम
जब एकाएक आए तुम
तो यह हवा भी शरमा गया
शाम पर मदहोशी छा गई
इंद्रधनुषी आकाश
मन को झूला झूला गया
उधर चांद भी खिलने को मचलने लगा
चांदनी की चादर बिखर बिखर कर
आगोश में लेने को बांहें फैलाने लगी
मदहोशी के इस आलम में
चांदनी संग मैं भी बिखरने लगी