पुरुष
पुरुष
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पुरुषों में भी एक स्त्री छिपी होती है
उन्हें भी चाहिए होता है
छोटी छोटी बातों में
जताने वाला लाड प्यार
कभी कभी उदास होने की आजादी
एक कंधा जिस पर
सिर रख कर सुकून पा सके
उन्हें भी चाहिए होता है
जिंदगी की भाग दौड़ से
चुरा कर लाया गया एक पल
उन्हें भी चाहिए होता है
यूं ही आंखे हो जाए कभी नम तो
उन मोतियों को चुनने वाला
हो आस पास कहीं
हां पुरुषों में भी एक स्त्री
होती है छिपी
निकल आती एहसासों
की चादर ओढ़ कभी कभी
ढूंढती अपनों में छिपे
अपनों को कभी कभी।