सपने देखने दो साथी
सपने देखने दो साथी
मेरी हकीकत भरी हसीन सपनों को आप
कहती हो है यह ख्याली- पुलाव !
क्या इसमें आपको जरा भी उम्मीद की
किरण नहीं दिखती, मेरी उम्मीद की किरण!
इसमें कहीं भी नजर नहीं आती आपको
जिंदगी की आशियां का रचाव- बसाव !
तो क्या ये भी ख्याली पुलाव है
कि हम ख्वाब देखना ही
छोड़कर खाली हाथ बैठ जाएँ ?
मेरी धड़कन मुझे ख्वाब देखने से मत रोको !
सपने देखने दो साथी !
यही कल हकीकत का मार्ग प्रशस्त करेंगें।
अगर तुझे पता ही है कि ये सिर्फ ख्याली- पुलाव ही है !
तो क्यों 'बो' रही हो वैसा प्रेमरूपी बीज
जिसका हमें कभी न मिले छाँव !
शायद मेरे सपने कोरे ही सही !
मगर सपने तो हैं न !
अब इसे भी देखने से मत रोको !
देखने दो सपने मेरे साथी !
ये सपने सच में कितने हसीन है !
इस बात का तो हमें मलाल नहीं रहेगा कि
सपने देखें ही नहीं तो सच कैसे हो पाता ?
हकीकत बन जायेगा अगर विश्वास रखेगी खुद पे,
ये खुद हमें और खुदा को भी यकीन है।
ऐसा नहीं है कि तुम कभी सपने हमारे नहीं देखती हो !
मगर हाँ ! ये हो सकता है कि
हम तेरे ख्वाब में शायद आऊँ ! न आऊँ !
हमें इस बात का अफसोस नहीं कि
तुम भी सपने क्यों देखती ?
मगर हमें तो मत रोको !
माना ये ख्याली पुलाव ही सही मगर
जिंदगी का असली खुराक है जिंदगी जीने में !
सपने देखने में।
फिर पूरी श्रद्धा और खुद के समर्पित कर
उसे सच में बदलने में।
हकीकत तक पहुँचने में
सपने देखने दो मेरे साथी ! सपने देखने दो।।

