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Brijlala Rohanअन्वेषी

Romance Classics Inspirational

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Brijlala Rohanअन्वेषी

Romance Classics Inspirational

सपने देखने दो साथी

सपने देखने दो साथी

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मेरी हकीकत भरी हसीन सपनों को आप 

कहती हो है यह ख्याली- पुलाव ! 

क्या इसमें आपको जरा भी उम्मीद की

किरण नहीं दिखती, मेरी उम्मीद की किरण! 


इसमें कहीं भी नजर नहीं आती आपको

जिंदगी की आशियां का रचाव- बसाव !

तो क्या ये भी ख्याली पुलाव है

कि हम ख्वाब देखना ही

छोड़कर खाली हाथ बैठ जाएँ ? 


मेरी धड़कन मुझे ख्वाब देखने से मत रोको !           

सपने देखने दो साथी !

यही कल हकीकत का मार्ग प्रशस्त करेंगें।

अगर तुझे पता ही है कि ये सिर्फ ख्याली- पुलाव ही है !    


तो क्यों 'बो' रही हो वैसा प्रेमरूपी बीज 

जिसका हमें कभी न मिले छाँव ! 

शायद मेरे सपने कोरे ही सही !

मगर सपने तो हैं न !      

अब इसे भी देखने से मत रोको !

देखने दो सपने मेरे साथी !


ये सपने सच में कितने हसीन है !

इस बात का तो हमें मलाल नहीं रहेगा कि

सपने देखें ही नहीं तो सच कैसे हो पाता ?

हकीकत बन जायेगा अगर विश्वास रखेगी खुद पे,

ये खुद हमें और खुदा को भी यकीन है।           


ऐसा नहीं है कि तुम कभी सपने हमारे नहीं देखती हो !    

मगर हाँ ! ये हो सकता है कि

हम तेरे ख्वाब में शायद आऊँ ! न आऊँ !                              


हमें इस बात का अफसोस नहीं कि

तुम भी सपने क्यों देखती ?

मगर हमें तो मत रोको ! 

माना ये ख्याली पुलाव ही सही मगर

जिंदगी का असली खुराक है जिंदगी जीने में !

सपने देखने में।


फिर पूरी श्रद्धा और खुद के समर्पित कर

उसे सच में बदलने में।

हकीकत तक पहुँचने में

सपने देखने दो मेरे साथी ! सपने देखने दो।।


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