सफर का हमसफ़र !
सफर का हमसफ़र !


जब हो जाये किसी को प्रेम अपने
ही प्रतिबिम्ब से डरने वाली से
तो दर्द खुद-बा-खुद उस प्रेम के
सफर का हमसफ़र हो जाता है
जब हो जाये किसी को प्रेम अपनी
ही सांसों की तेज़ गति से डरने वाली से
तो दर्द खुद-बा-खुद उस प्रेम के
सफर का हमसफ़र हो जाता है
जब हो जाये किसी को प्रेम अपनी
ही पदचाप की आवाज़ से डरने वाली से
तो दर्द खुद-बा-खुद उस प्रेम के
सफर का हमसफ़र हो जाता है
जब हो जाये किसी को प्रेम अपनी
ही दहलीज़ को पार करने से डरने वाली से
तो दर्द खुद-बा-खुद उस प्रेम के
सफर का हमसफ़र हो जाता है
और जब दर्द किसी प्रेम के सफर
का हमसफ़र हो बन जाता है
तो आँसुओं को देनी पड़ जाती है इज़ाज़त
आँखों के काजल को बहा ले जाने की