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Surendra kumar singh

Fantasy

4  

Surendra kumar singh

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सफेद रंग के फूल

सफेद रंग के फूल

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ये खिले खिले सफेद रंग के फूल

जिनमें मनुष्यता की

मादक गंध निकल रही है

बिखर रही है हवाओं में,

और गुनगुना रही है

अबतक का सबसे प्यारा गीत।

आवाज को रूप

धारण करते हुए देखना 

सुनना 

मुमकिन है आप को कल्पना लगे।

यद्यपि आप आवाजों के रूप में 

समर्पित ही हैं

उन रूपों की कल्पनाओं की

महिमा का यशोगन करते ही है

ये बात अलग है

कि वो रूप आप की आंख में

नहीं है, ख्यालों में जरूर है।

मैं बात राम ,कृष्ण और आदिशक्ति के 

नौ रूपों सहित ढेर सारे रूपों की 

कर रहा हूं

सब आवाज ही तो है।

तो भाई आज की होती हुई सुबह में 

ऐसे ही एक आवाज

नया आकर ग्रहण कर रही है

और इस रूप में 

वो सारे रूप शामिल हैं

जिनको भिन्न भिन्न स्वर

दिया हुआ है आप ने।

ये नई सुबह का नया प्रेम है

और वायदे निभ रहे हैं

इतिहास सिमट रहा है

और नया इतिहास बन रहा है

एक उजली सी परछाईं की

शीतल छाया में।


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