सोलमेट
सोलमेट
एक लड़की,
बहुत कड़की,
बचपन की साथी,
हर बात की भागी,
गलत को गलत,
और सही को सही कहने वाली,
हमेशा मुझे देख मुस्कराने वाली,
मेरी हर बात पे दाद देने वाली,
हौसला बढ़ाने वाली,
कभी दिल न तोड़ने वाली,
कदम से कदम मिलाने वाली,
मेरी खुशी में खुश होने वाली,
मेरे दुःख में दुःखी होने वाली,
है मेरी सोलमेट जैसी।
इकट्ठे कालेज और युनिवर्सिटी गए,
दोनों एक साथ नौकरी लगे,
अगर मुझे चोट लगती,
उसको तकलीफ होती,
और अगर उसको चोट पहूंचती,
तो मुझे तकलीफ़ होती,
ऐसा महसूस होता,
हम दो जिस्म एक जान,
एक दूसरे पे कुर्बान,
ये है मेरे सोलमेट की दास्तान।