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Parul Manchanda

Fantasy

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Parul Manchanda

Fantasy

सोचते है हर बार

सोचते है हर बार

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दिल की कही बात पूरी हो जाती अगर,

मन की मनमानी सच हो जाती अगर!

ये सोचते है हम दिन रात मगर…….


सारे सपने सच्चे यूँ ही हो जाते,

ग़म को गीत में बदल कर गाते!

ये सोचते है हम हर बार मगर….


ना सीमा, ना नियम ना बंधन होते,

ना जीवन में कुछ पाते- ना खोते!

ये देखते है ख़्वाब हर बार मगर….


मगर… हर बार सोचकर चुप हो जाते है!

क्या ख़्वाब भी कभी..

बिन मेहनत के पूरे हो पाते है!

संघर्ष बिना भी कभी

 सुख यूँ ही चले आते है!


सच है ये जीवन के नियम तड़पाते है।

सपने सच्चे होने में समय लगाते है।

हर बार दिल के अरमान सताते है!

पर बड़े-बुजुर्ग सच ही बताते है!


जीवन एक संघर्ष की सीढी

चलता जा….बढ़ता जा।”


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