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Bharti Bourai

Romance

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Bharti Bourai

Romance

संयोग

संयोग

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संयोग भी 

यूँ ही नहीं होता 

विधाता जब 

लिख रहा होता है भाग्य 

तभी संयोग/वियोग/ इत्तफ़ाक

सब कुछ अंकित कर देता है 

हर किसी के भाग्य लेख में.!


तभी तो 

मिले थे संयोग से 

गाड़ियों के शोर के बीच

लोगों की भीड़ में भी,

विधाता रच रहा था लीला 

हमारे संयोग की 

बेखबर थे हम 

दुनिया/जहान से..!


सुनो!

लिखी थी 

प्रेम कथा 

उसी ने हमारी 

हम तो उसे जी रहे थे 

उसके लिखे अनुसार..!


सच 

कितना 

अच्छा लगता है 

विधाता के लिखी 

प्रेम कथा का पात्र बन कर 

प्रेम में जीना और प्रेम में मरना..!



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