संवेदना यंत्र-स्टेथोस्कोप
संवेदना यंत्र-स्टेथोस्कोप
श्वास-धड़कन की सुन के पुकार,
बता देते हो तन-मन के सभी विचार।
रूधिर का दाब -गति और उसका प्रवाह,
फेफड़ों से श्वास-प्रश्वास में वायु की राह।
अनुमान अवस्था का लगाती है इनकी चाल,
स्वस्थ है तन-मन जो मिलती लय और ताल।
विषम ध्वनि- गति कहती है कुछ हुआ बिगाड़,
बरतिए संयम - लीजिए औषधि की भी आड़।
काश! जग में होता कोई एक ऐसा भी यंत्र,
जॉंच सकता मानवीय- वेदनाएं सभी स्वतंत्र।
भेद बिन सब करें अगाध सब से ही प्यार,
वह औषधि दे दो हर मानव को करतार।