संवार दो
संवार दो
मेरी ज़िंदगी मे आके,इसको रंग हज़ार दो।
थमें हुए पलों को,
एक गति उधार दो।
मेरी धड़कनों को समझो,मेरा जीवन सँवार दो।
जो मुस्कुराऊँ मैं तो,
उसकी वजह तुम दो।
जो शर्मा जाऊं ज़रा सा,तुम प्यार इतना लुटा दो।
मेरी धड़कनों को समझो, मेरा जीवन सँवार दो।
जो लड़खड़ाऊँ तो तुम अपना हाथ बढ़ा दो।
जो रूठ जाऊं तुमसे,
तुम आकर मना दो।
मेरी धड़कनों को समझो,मेरा जीवन सँवार दो।
मेरे माथे की बिंदिया,
तुम खुद ही सजा दो।
मेरा सिंदूर है तुमसे,
अपने हाथों से लगा दो।
मेरी धड़कनों को समझो, मेरा जीवन सँवार दो।
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