Renu Singh
Drama
तुम उतर गये
नदी की
तलहटी में,
शांत और शांत
एकांतिक सृजन
अंजुली भर,
भीतर समाहित
घूँट-घूँट
निरन्तर प्रवाह,
तरल सरल।।
दुशाले बुनती ...
यादें कुछ खोई...
मैं एक स्त्री...
देश काल से पर...
बाट जोहता है ...
नदी का सन्ताप
नदी का संताप
ब्लैक होल
कागज की कश्ती
अंतर रुदन
मंद उठती सदाओं में आंधियों सा ज़ोर क्यों है। मंद उठती सदाओं में आंधियों सा ज़ोर क्यों है।
मेरी उम्र भी तुझे दे दूं जाना, अब ज़िन्दगी से रहा न कोई मलाल है। मेरी उम्र भी तुझे दे दूं जाना, अब ज़िन्दगी से रहा न कोई मलाल है।
उनके लहजे में परवाह तो होती है मेरे लिए मगर क्यों कोई परवाह नज़र नहीं आती उनके लहजे में परवाह तो होती है मेरे लिए मगर क्यों कोई परवाह नज़र नहीं आती
नसमझे बस जमाना कि,हमको कोई तुमसे अदावत है। नसमझे बस जमाना कि,हमको कोई तुमसे अदावत है।
उसके होठों को मैंने अपनी उंगलियों से बंद किया, और वोह नींद में ही मुस्कुराती रही। उसके होठों को मैंने अपनी उंगलियों से बंद किया, और वोह नींद में ही मुस्कुराती ...
घर के काम को नहीं करते मना परिवार के लिये करना सीखना है उसे। घर के काम को नहीं करते मना परिवार के लिये करना सीखना है उसे।
प्यास है दिल में और प्यासी है बारिश भी, रेत है दरमियां और सूख गई है ये शाख भी। प्यास है दिल में और प्यासी है बारिश भी, रेत है दरमियां और सूख गई है ये शाख भी...
हाँ सनक है इश्क़ में तेरे पर गवारा नहीं मुझे दूरियाँ यूं किसी भी काऱण से तेरी। हाँ सनक है इश्क़ में तेरे पर गवारा नहीं मुझे दूरियाँ यूं किसी भी काऱण से ...
एक बूंद, विशाल सागर में इस से ज्यादा, ऐ बंदे तेरी हस्ती कहां। एक बूंद, विशाल सागर में इस से ज्यादा, ऐ बंदे तेरी हस्ती कहां।
ऐसे खेलते जाते ज़िन्दगी का आखिरी दांव। ऐसे खेलते जाते ज़िन्दगी का आखिरी दांव।
सीख गया सब हाथ पकड़कर बस जैसे बरसों की हो पहचान सीख गया सब हाथ पकड़कर बस जैसे बरसों की हो पहचान
आंधी से संघर्ष कब तक हो, कभी तो फुहार सावन की बरसे। आंधी से संघर्ष कब तक हो, कभी तो फुहार सावन की बरसे।
कितने वसंत कितने पतझड़, यादों में गिन गिन हैं काटे, कितने वसंत कितने पतझड़, यादों में गिन गिन हैं काटे,
आज तक मैंने जो आपको समझा इसमें भी मैं ग़लत साबित हुई। आज तक मैंने जो आपको समझा इसमें भी मैं ग़लत साबित हुई।
जिसके गलत होने पर होगी सारी जिम्मेदारी उसकी। जिसके गलत होने पर होगी सारी जिम्मेदारी उसकी।
जवां रखते मनोभाव ऐसे खेलते जाते ज़िन्दगी का आखिरी दांव। जवां रखते मनोभाव ऐसे खेलते जाते ज़िन्दगी का आखिरी दांव।
ना अपने से दूर कर पाते। न जाने कैसी आफत है ये यादें। ना अपने से दूर कर पाते। न जाने कैसी आफत है ये यादें।
अब मर्ज़ी तुम्हारी है गिरते चलो या बढ़ते चलो। अब मर्ज़ी तुम्हारी है गिरते चलो या बढ़ते चलो।
तुझसे मोहब्बत करने का में अंजाम दुदनः रही हूँ। तुझसे मोहब्बत करने का में अंजाम दुदनः रही हूँ।
मुकद्दर में मेरे तुम हो या नहीं ये ख़ुदा जाने , दीदार-ए-रुख़सार की इक आस अभी बाकी है मुकद्दर में मेरे तुम हो या नहीं ये ख़ुदा जाने , दीदार-ए-रुख़सार की इक आस अभी बा...