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Renu Singh

Others

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Renu Singh

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दुशाले बुनती हैं, हवाएं

दुशाले बुनती हैं, हवाएं

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रुक्ष भूमि के

प्रेमी-पलाश

सिंदूरी


श्वेत, पीत

बासन्ती गीत

टांक रही कसीदे

दुशाले बुन


हवाओं की चुभन

पीत पर्णो से

भरी धरा

पुष्पित तन 

हरा -भरा


अग्निवर्णा आकण्ठ

नवहरित 

सज्जित पूरित

नारंगी टेसू से


वेणी वनकन्या

झंकृत हैं गीत 

कोई, फूले हैं टेसू।


धूर धरा नाच उठी

फैले हैं गेसू।


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