संसकार
संसकार
सोचती हूं तुम से बातें करना बंद कर दूं,
सपनों में तुम से मिलना कम कर दूं।
बातों बातों में कहीं दूर न निकल जाए हम,
कहीं यह न हो घर का रास्ता भूल जाएं हम।
जाने ऐसा क्यों होता है,
प्यार संस्कारों का मोहताज होता है।
आओ एक बार फिर इस प्यार को भूल,
दोस्ती का जामा पहना दें हम।