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Rashmi Ranjan

Tragedy

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Rashmi Ranjan

Tragedy

संस्कार

संस्कार

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संस्कारों से पोषित हो

परम्पराओं से पालित हो

सन्तानें, और सन्ततियाँ

नहीं पड़ेगी, कभी जरूरत

"एक दिवस" मनाने की 

ये बौद्धिक ----रीतियाँ!!


मात- पिता या भाई- बहनें

समाज के पुरुष या महिलाएँ

पीढ़ी दर पीढ़ी, टूटते परिवार

सिमटते हुए, रिश्ते और भावनाएँ

दौड़ जिंदगी के, ललक ऊँची उड़ान के

कहाँ जा रही हैं राहें, कहाँ जा रहा संसार।।


वृद्धाश्रम का फलना- फूलना

निर्भया कांड का बार- बार दुहराना

धरती- आसमाँ के अनवरत अनादर

विकसित, आजाद मन का कैसा सँवरना

दिल- दिमाग के स्थिति जन्य सामंजस्य की

सम्भावनाओं का, क्या और कैसा है, बिरादर!!


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