संसार में संस्कार
संसार में संस्कार
प्रभु ने बनाया है सुंदर संसार,
सतत करते रहना हमें इसमें सुधार।
इसमें तो जरूरत है संस्कार की,
संस्कार तो संजीवनी है इस संसार की।
चर और अचर इस जगत को,
मिलकर के ही पूरा हैं करते।
एक दूजे के हैं ये पूरक,
निर्भर एक दूजे पर हैं ये रहते।
लोक परंपराएं संरक्षित करतीं इन्हें,
सामाजिक संस्कृति हैं संसार की।
प्रभु ने बनाया है सुंदर संसार,
सतत करते रहना हमें इसमें सुधार।
इसमें तो जरूरत है संस्कार की,
संस्कार तो संजीवनी है इस संसार की।
बदलते समय के संग-संग,
परंपराएं भी बदलती हैं रहतीं।
परिवर्तन ही सच्चाई है जगत की,
बदली हुई परंपराएं हैं यह कहतीं।
अनुपयोगी हो गईं वे हट सकें,
और नयी उपयोगी की होती है दरकार।
प्रभु ने बनाया है सुंदर संसार,
सतत करते रहना हमें इसमें सुधार।
इसमें तो जरूरत है संस्कार की,
संस्कार तो संजीवनी है इस संसार की।
आधुनिकता के नाम पर
पाश्चात्य संस्कृति का है प्रभाव ।
संस्कारों के प्रतिकूल कर रहें हैं ,
अनावश्यक अनेक अवांछित बदलाव।
बदलाव करें हम जरा सोच विचार,
हर संस्कृति के प्राण होते हैं संस्कार।
प्रभु ने बनाया है सुंदर संसार,
सतत करते रहना हमें इसमें सुधार।
इसमें तो जरूरत है संस्कार की,
संस्कार तो संजीवनी है इस संसार की।