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Indu Barot

Abstract

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Indu Barot

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स्नो.....

स्नो.....

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बरफ के मोती तैरते हुये हवा में आज धरा पर आ रहे हैं।   

 गगन से धरा तक अपनी चमक बिखेरते हुये आ रहे है।                            

 अभी थी और अभी नहीं हैं जैसी खुशीयों का

अहसास लिये हुये चाँदी की जाली जैसै आ रहे हैं ।                       

धरा पर बिछ जाने की चाह से, सड़कों पर नरम सफ़ेद बादल बना रहे है ।             

काली सूखी झाड़ियों को, बरफ से लाद कर श्रृंगारित कर रहे हैं ।    

 छत,दिवारों, खिड़की के हर कोने को जगमग कर रहें हैं ।              

 कभी अकेले कभी झुण्ड मे कोमल श्वेत तारों की बारात बनकर आ रहे हैं ।               

चारों ओर ठण्ड,सिहरन है, पर घर में हमें गिलाफ जैसै

ढका हुआ महसूस करा रहे हैं ।     

बरफ के मोती तैरते हुये हवा मे आज धरा पर आ रहे हैं ।


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