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The Baby hands

Tragedy

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The Baby hands

Tragedy

सन्नाटा

सन्नाटा

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कितना सन्नाटा है तुम बिन यहां...


न तुम्हारी हंसी, न तुम  

एक अजीब सुकून था तुम में...

तुम बिन, सब गुमसुम 

किंतु एक शैली मैने भी सीखी है

मेरे मन में, बस एक मैं और एक तुम...


मिलते है हर रात दोस्तों की तरह,

झगड़ते है बच्चों की तरह,

हंसते है अपनों की तरह,

लीलाएं करते है कृष्ण – राधा की तरह


किंतु हर सुबह, सब शून्य

न तुम्हारी हंसी, न तुम।।।


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