गुम हूं…
गुम हूं…
गुम हूं आज भी उसके इंतज़ार में...
ये या तो मेरी खासियत है ,
या उसमे कुछ तो अलग बात है...
वो बातें नहीं करता मुझसे... (
मगर उसके साथ ही बीत जाती
मेरी हर एक रात है…
वो याद आता है मुझे हर दफा…
जब भी बादल गरजते , और होती बरसात है…
उसके नैन नक्श नहीं ,
मैं तो उसकी मुस्कान पे फ़िदा था…
ये या तो मेरी खासियत है ,
या उसमे कुछ तो बात है…
न जाने उसे पता भी है या नहीं...
मगर कोई तो है , जो गुम है इसके इंतजार में…