हमारी कहानी...
हमारी कहानी...
कितने खुश थे ना हम,
अपनी छोटी सी उस दुनिया में?
जहां की रानी थी तुम, राजा मैं
और मतलब नहीं था हमें बाहरी दुनिया से…
वो खिलखिलाना, वो मस्तियां
सब था हमारे छोटे से इस जहान में…
सीख रहे थे, सीखा रहे थे
अंदाज़ और ज़ुबान अपनी दुनियाओं के।।
चाहे कितनी ही छोटी क्यू न हो,
वो दुनिया थी तो हमारी…
वक्त कितना ही कम क्यू ना मिले साथ में,
मगर वक्त मिला, उसके थे हम आभारी...
साथ रहने के सपने भी थे,
और ख्वाहिशें आसमानी…
मानो उस सपने में ही बीत जाए उम्र,
इतनी सुंदर थी वो कहानी...
