संगिनी
संगिनी
सर्दी में रजाई, तपती दोपहर में पेड़ की छांव हो,
हार में दिलासा, जीत की सूत्रधार हो।
ख्वाबों की खूबसूरती, धड़कते दिल की धड़कन हो,
विचारों की आत्मा, तन की परछाई हो।
भटकाव में मार्गदर्शक, मंजिल की हकदार हो,
चाहत मेरे हद की, जुनून की इंतेहा हो।
सफर में छेड़ती हवा, मुकाम पर आराम हो,
संगिनी मेरी जीवन की "अनिल की साधना" हो।