संघर्ष पथ
संघर्ष पथ
जीवन रथ पर आरूढ़ मानव ...
यदि कर्म को नहीं अपनाएगा !
तो निश्चिंत ही वह अपने लक्ष्य,
को कभी अपने पास नहीं पाएगा !
यह तो सत्य है कि कर्म ही है पूजन ,
कर्म ही है दर्शन .......कर्म ही है विचार !
बिन कर्म के ....शून्य सा ..जीवन ..निस्सार !
बिन उद्देश्य ...दिशाहीन मानव बस..
दिग्भर्मित हो जाता है !
पर जिसको पता है कर्म के महत्व का,
वह संघर्ष का पथ अपनाता है ।
जो कर्मवीर योद्धा होता है वह मुश्किलों,
में भी मुस्कुराता है ।
यदि असम्भव से असम्भव कार्य भी हो तो,
वह अपने हौसलों से पर्वत को भी झुकाता है !
है इस जीवन का फ़लसफ़ा भी कि ...
जो मुश्किलों के तूफानों से भी लड़ता है !
वही अपनी मंजिल को भी पाता है,
जो अपने जज़्बे से काँटों में भी चलता है !
जो संघर्ष पथ पर भी कोशिश के दामन को
पकड़ता है !
उसके भाग्य का सूरज ..फिर कभी नहीं ढलता है !
उसका कर्मठ भाव भविष्य में उसको पुरस्कृत करता है !
