संघर्ष ही जीवन है
संघर्ष ही जीवन है
कभी कश्ती तो थी पर किनारा नहीं था।
कभी जीवन के उतार-चढ़ाव के
दुख मे कोई सहारा नहींं था।
कभी डूबते को तिनके का सहारा नहीं था।
कभी जान हथेली पर लेकर निकले थे
पर लक्ष्य का ठिकाना नहीं था।
कभी चल दिए थे पगडंडियों पर
आखिरी छोर का ठिकाना नहीं था।
समस्याओं के भंवर जाल में कुछ इस तरह उलझे कि
उनसे निकलने का कोई बहाना नहीं था।
समस्याएं तो हर वक्त आती थी इनसे
निकलने का कोई ठिकाना नहीं था।
संघर्ष जीवन में बढ़ता ही गया पर इन से
निकलने का कोई सहारा भी ना था।
तालमेल बिठाते बिठाते लगा खुद ही डूब जाएंगे,
क्योंकि पतवार का सहारा भी ना था
समझ नहीं आता इस जख्म को क्या नाम दें,
क्योंकि इस ने जीना सिखा दिया।
हर गम को भूल कर इसने हमेंं
संघर्ष ही जीवन है यह हमको सीखला दिया।