समय का मान
समय का मान
राही को प्यारी मंजिल हो
मंजिल ही जीवन सागर है।
सुख दुख तो मानो धूप छाँव
मंजिल अमृत की गागर है।
ये जीवन है इस जीवन में
इम्तिहान सभी का होता है।
गर रखो समय का सही मान
सम्मान सभी का होता है।।
अ से अ: तक तो कुछ न मिले
क से ञानी तक जाना है।
गर पाना है मंजिल पूरी
तो पूरी दौड लगाना है।
अक्षर का ज्ञान करो पूरा
तब ज्ञान शब्द का होता है।
गर रखो समय का सही मान
सम्मान सभी का होता है।।
सरिता की मंजिल सागर है
सागर तक जाना जीवन है।
लड़ती मुड़ती बहती है सदा
हँसती रोती मन ही मन में।
सरिता के कठिन परिश्रम को
जो पा ले कभी न रोता है।
गर रखो समय का सही मान
सम्मान सभी का होता है।।