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Ratna Kaul Bhardwaj

Drama

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Ratna Kaul Bhardwaj

Drama

समस्याओं को खुद आमंत्रित करना

समस्याओं को खुद आमंत्रित करना

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समस्याओं को खुद ही आमंत्रित करना,

बिना सूझ भूझ रुकावटें खुद पैदा करना  

फिर दूसरों पर दोष डालना, 

"आ बैल मुझे मार" कहलाता है 

तो भला आदमी फिर अपनी ही करनी पर

क्यों ज़ार ज़ार रोता है।  


जो कुछ खुद के वश में हो 

भूल जाओ , यश हो न हो 

प्रकृति को अपनी चाल चलने दो  

कदम से कदम ताल मिला हो  

तो काहे का फिर रोना है 


किसी की फटी जेब में हाथ डालना 

इंसानी फितरत का हिस्सा है 

मैं - मैं की रट में कितने ढह जाते हैं 

हर नुक्कड़ का किस्सा हैं 

काम बने भिन नफरत के 

सूझ भूझ हो संग संग में 


"आ बैल मुझे मार" 

आज का दौर नहीं 

यहाँ शातिर हर दिमाग है 

हिंसा है और आग है

जीवन बहुत अमूल्य है 

चुप रहना ही सबसे तुल्य है


चला चल बन्दे अपने रास्ते 

अपने काम , महंगे हो या हो सस्ते 

न कभी किसी के काम में टांग अड़ाना

खुद का नुक्सान हो जाना है दुगना

जो यह फलसफा अपनाएगा 

"आ बैल मुझे मार "

झूठा साबित कर जायेगा।      


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