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Asmita prashant Pushpanjali

Drama

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Asmita prashant Pushpanjali

Drama

समा

समा

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अभी शाम हुई नहीं,

दिन है और बाकी ।

गुफ्तगू कर ले थोड़ी,

बात जो है बाकी ।।


मदहोशी के आलम हैं,

शाम के साये में।

परदा ना करना अभी,

दिल्लगी थोड़ी है बाकी ।।


समा बंध रहा है हौले-हौले,

आये हो जो महफ़िल में ।

वापस ना लौटना अभी,

मुलाकात थोड़ी है बाकी ।।


आओ थोड़े खुश हो लें,

हँसने के अरमान हो पूरे ।

आँखो की नमी ना पोछना,

आँसू थोड़े हैं बाकी ।।


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