" सियासी रंग "
" सियासी रंग "
हम प्यार का पैगाम
बांटते हैं
हम नहीं चाहते
लोग एक
दुसरे का दुश्मन बन जाएँ
वहाँ के लोग
भी नहीं चाहते जंग !
क्या जंग से
तबाही बर्वादी
रोकी जा सकती है ?
तो फिर हम एक दूसरे
का सर
कलम क्यों करते हैैं ?
एक तरफ शांति की पहल
करते हैं ,
दूसरे ही क्षण आतंक का जामा ,
पहनते हैं !
सीमा पर लोग मरते हैं ,
जान गवांते हैं ,
कुछ दिनों के लिए ,
सुर्खियां बन जाती हैं ,
फिर क्रमशः लुप्त हो जाती हैं !!
राष्ट्रभक्ति को उभारने में
इसका प्रयोग किया जाता है !
इसलिए इस तनाव को ,
सियासी रंग दिया जाता है !!