सियासी जुमला.
सियासी जुमला.
अन्ना और शिष्य में चल रही थी बोल-चाल
सत्तापक्ष पर मीडिया क्यों मचा रहा बवाल ?
मानक, चानक्य और वाचक मचा रहे थे शोर-गुल
आज का सबसे बड़ा आम चर्चा का ज्वलंत सवाल।
क्यों हवा- हवा हो गया वादों का झोला,
देशवासियों के लिए पंद्रह लाख का खयाल।
शिष्य-नेता ने अन्ना से बड़े प्यार से बोला,
वह था सत्ताधिशों के वादा खिलाफी का झमेला।
चुनाव के बाद खुलना था किस्मत का ताला,
मिलना था हरेक को पंद्रह लाख का थैला।
कोशिश हो रही कि मिट जाए यह मामला,
सत्तापक्ष बोल रहा वह था सियासी जुमला।
अन्ना ने शिष्य-नेता से फिर उठाया वही सवाल,
क्यों लटक रह हैं भ्रष्टाचार, कालाधन का बिल।
जन-लोकपाल गठण का क्यों अटका हैं मामला,
क्या मुझे फिर से करना पड़ेगा रामलीला से हमला ?।
शिष्य-नेता आदर से अन्ना को बोला,
सत्ता पक्ष में हैं कूटनीति का बोलबाला।
कौन रहेगा सत्तापक्ष में जब जड़ से उखड़ जायेगा !,
अगर भ्रष्टाचार करने का बंद होगा खेला।
भ्रष्टाचार, कालेधन, नकक्षलवाद, आतंकवाद,
वोट लिए आम जनता को लुभाने का मामला।
बस अन्ना फिलहाल आप ना करो मलाल,
ये एक कुशल सियासी नेताओं का हैं जुमला।
