सिसकियाँ
सिसकियाँ
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बन्द दरवाजों के पीछे
हल्की सी आवाज़ आती है
चुपचाप रोने की...
डर लगता है
की वो सुन न ले
और फिर आक्रोश हो चरम पर
ना.....
बहुत धीरे से रोना
इन सिसकियों की आवाज़
अपने अंदर समेट लेना
वो हमसफर था मेरा
पर ये सिसकियाँ उसी की निशानी है
अपने अंदर घुटते सिमटते
बाहर आने को बेताब
पर कहीं किसी को खबर न हो
इस लिए...
धीमी कर लो ये सिसकियाँ...